थाना प्रभारी गिरधरसिंह को हटाने की मांग पर अड़े, नहीं उठाया शव

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दो दिन बाद भी नहीं उठाया शव, धरना अब भी जारी
भीनमाल.
रामसीन थाना क्षेत्र के थूर गांव प्रकरण में नाबालिग के अपहरण के प्रकरण से आहत विधवा द्वारा आत्महत्या का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। घटनाक्रम में परिजन थाना प्रभारी गिरधरसिंह को निलंबित करने की मांग पर अड़े हुए हैं। विरोध इस कदर बढ़ चुका है कि दूसरे दिन भी इसी मांग पर धरना प्रदर्शन जारी रहा। यहीं नहीं श व को नहीं उठाया।
इधर, विरोध के स्वर तेज होते जा रहे हैं और अब राजनीतिक हस्तक्षेप भी बढ़ रहा है। मामले में एएसपी डॉ. अनुकृति भी यहां पहुंची एवं एसडीएम ऑफिस में ग्रामीणों से मांगों को लेकर समझाइश की, लेकिन बात नहीं बनी। परिजन नाबालिग को बरामद करने, आरोपियों को गिरफ्तार करने व रामसीन थानाधिकारी को निलम्बित करने की मांग को लेकर अड़े हुए है। इधर, धरनास्थल पर बुधवार को बड़ी संख्या में लोग पहुंचते रहे।
मंगलवार सुबह महिला की मौत के बाद परिजन व ग्रामीण आक्रोशित हो गए। दोपहर बाद लोगों ने पुलिस पर कार्यवाही नहीं करने व राजीनामें का आरोप लगाते हुए आरोपियों की गिरफ्तारी करने, नाबालिग को बरामद करने व रामसीन थानाधिकारी को निलम्बित करने की मांग करते हुए शव को नहीं उठाया। उपखण्ड कार्यालय के बाहर टेंट लगाकर धरना-प्रदर्शन शुरू किया। ज्ञापन में आरोप है कि दादाल निवासी हड़मतसिंह, शोभाकंवर पत्नी नरपतसिंह भगाकर ले गए। उसके बाद नाबालिग को महेन्द्रसिंह पुत्र पदमसिंह सुराणा को सुपुर्द की।
नहीं बनी बात
दूसरे दिन प्रशासन, पुलिस व धरने पर बैठे परिजनों व ग्रामीणों के बीच वार्ता का दौर चला, लेकिन उसके बाद भी बात नहीं बनी। एएसपी डॉ. अनुकृति के नेतृत्व में उपखण्ड अधिकारी कार्यालय में वार्ता का दौर हुआ, लेकिन परिजन व ग्रामीण अपनी मांगों को लेकर अड़े रहे।
सवाल अहम, पहले पुलिस क्यों नहीं जागी
मामला 23 फरवरी का बताया जा रहा है और इस प्रकरण को पुलिस ने 27 फरवरी को दर्ज किया। सीधे तौर पर इस मामले में पुलिस की कार्यशैली सवालों के घेरे में हैं। अपहरण जैसे गंभीर मामले में थाना प्रभारी द्वारा ढिलाई बरती गई। जिसका नतीजा यह हुआ कि विवाहिता आहत हुई। आरोप है कि इसी कारण से उसने आत्मदाह किया। मामले में पुलिस की भूमिका की जांच अनिवार्य है और दोषी के खिलाफ कार्रवाई की दरकार है।